देख प्रज्ञा!
तेरी मोहब्बत में
दीवाने हो बैठे हैं
वो हँस रहे हैं मुझ पर
जो लोग सामने बैठे हैं
तुमने जो शर्माकर फेर दीं
निगाहें मुझ पर
आबरू की आरजू में
बेआबरू हो बैठे हैं…
देख प्रज्ञा!
तेरी मोहब्बत में
दीवाने हो बैठे हैं
वो हँस रहे हैं मुझ पर
जो लोग सामने बैठे हैं
तुमने जो शर्माकर फेर दीं
निगाहें मुझ पर
आबरू की आरजू में
बेआबरू हो बैठे हैं…