रुक गई सांस,
भर आया हृदय
दुख के सागर में मन डूब गया
व्यथित हुआ
भारी हुई पलकें
तुझसे मिलने को
मन छटपटाने लगा..
कैसे तुझसे अब कहूँ कुछ मैं
कैसे तुझको अब संभालूँ मैं
बाप तो मैं भी हूँ
पीर में डूबा हुआ हूँ
कैसे बेटी का तर्पण करूं अब मैं…
रुक गई सांस,
भर आया हृदय
दुख के सागर में मन डूब गया
व्यथित हुआ
भारी हुई पलकें
तुझसे मिलने को
मन छटपटाने लगा..
कैसे तुझसे अब कहूँ कुछ मैं
कैसे तुझको अब संभालूँ मैं
बाप तो मैं भी हूँ
पीर में डूबा हुआ हूँ
कैसे बेटी का तर्पण करूं अब मैं…