Site icon Saavan

बेटी पढाओ अपनी शान बढाओ

कोमल हमेशा अपने माता पिता से डाट फटकार सुना करती थी। जबकि कोमल आठवीं कक्षा के छात्रा थी। पढ़ने लिखने में अपनी क्लास में अव्वल थी। सभी शिक्षक उसे मानते थे।प्रतियोगिता में बराबर बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लेती थी। बेशक वो समान्य ज्ञान हो या किसी विषय पर भाषण देना हो तो सबसे पहले कोमल का ही नाम आता था। इतनी गुणवान होते हुए भी माता पिता उसे हमेशा उच्च नजर से कभी देखा ही नहीं। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि, हमेशा कोमल के माता पिता बेटी को पराई घर की बेटी ही समझे। उन लोगों का यही सोच था कि बेटी से कहीं माता पिता के नाम रौशन हुआ है आज तक ? शायद इसलिए कोमल एक ही कक्षा में दो बार फेल भी कर गयी थी। सभी शिक्षक आश्चर्य में पर गये। फेल होने के कारण सभी शिक्षक पूछने लगे। तभी कोमल अपनी दास्तां उपस्थित शिक्षकगण के बीच बताती है — मैं हमेशा अपने माता पिता के आज्ञा मानती आयी हूँ। मैने कभी उनलोगों को निराश नहीं किया है। मै बहुत ही कठिनाई से आठवीं कक्षा तक पढी़ हूँ। मेरे अभिभावक के यह सोच है कि लड़की को ज्यादा पढ़ाने लिखाने से क्या फायदा ? आखिर चूल्हे चौके के ही काम करेगी। मेरा एक भाई है कमल जो,पांचवीं कक्षा के छात्र है। उसको पढाने लिए घर पर दो दो शिक्षक आते है ।मैने आज तक किसी भी शिक्षक से घर पर पढ़ी ही नहीं। वो तो अपनी सखी सहेली से नोट्स वगैरा ले आती हूँ। उस से ही परीक्षा की तैयारी कर लेती हूँ। लाख कहने पर भी पिताजी किताब ला के देते ही नहीं। लाड प्यार होता है क्या मैने आज तक जाना ही नहीं। मै अपने माता पिता के दोष नहीं दे रही हूँ। दोष दे रही हूँ अपनी तकदीर को । जो इतनी शिष्टाचार के पालन करते हुए भी अपने माता पिता के आँखों के तारा नहीं बन सकी। सभी शिक्षक दु:ख व्यक्त किए। कोमल की फ़रियाद किसी भी तरह शिक्षामंत्री के पास पहुँच गयी। उसे पढ़ने लिखने के लिए पैसे भी मिलने लगे। वह जी तोड़ मेहनत करना चाहती थी। मगर घर के काम से उसे फुरसत नहीं मिलता था। फिर भी अपनी मेहनत जारी ही रखी। समय का पहिया घुमता गया। वही कोमल दसवीं कक्षा में स्टेट लेवल पर प्रथम स्थान प्राप्त करके अपने माता पिता के नाम रौशन कर दिया। अखबारों में, टी. वी में हर जगह उसके माता पिता के नाम के साथ कोमल के नाम आता रहा। बेटी की कामयाबी देख कर कोमल के माता पिता कोमल को गले लगा लेते है। फूट फूट कर खुशी की आंसू बहाते हुए अपने समाज में ही चीख चीख कर दूसरों को यही कहते है बेटी पढाओ अपनी शान बढ़ाओ।

Exit mobile version