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बेज़ुबान दर्द सो गया

बेज़ुबान दर्द सो गया ,करवट न ले सकी नींद हमारी
लम्हे रुके रुके से रहे , थक के सो गयी किस्मत हमारी

क्या रखा था सिरहाने मेरे अपने कापते हाथों से
कमबख्त हरसूँ छोड़ गयी कोई धुआं चिंगारी
राजेश’अरमान’

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