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बोलना मना है

हे! इन्सान
मत बोल
बोलना मना है
तेरा मुख सच या झूठ बोलने के लिए नहीं
खाने के लिए बना है
दिन रात खाए जा
फिर भी बिना बोले तू नहीं रह सकता जिंदा
अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं करना चाहते शर्मिंदा
तो आम को इमली कह
जुल्म सह
या फिर चुप रह

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