बड़ी सरलता से वो यूँ अपने बाल संवारा करती है,
चोटी की हर गुथ में वो मेरे गम बुहारा करती है।।
राही (अंजाना)
बड़ी सरलता से वो यूँ अपने बाल संवारा करती है

बड़ी सरलता से वो यूँ अपने बाल संवारा करती है,
चोटी की हर गुथ में वो मेरे गम बुहारा करती है।।
राही (अंजाना)