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बड़े आदमी कब कहलाओगे तुम

बड़े आदमी कब
कहलाओगे तुम
जमीं पर नजर जब
रख पाओगे तुम।
इंसानियत को
बचाकर के मन में
रख पाओगे जब
बड़े आदमी तब
कहलाओगे तुम।
जब तक न दोगे
दूजे को इज्जत
जब तक न समझोगे
इज्जत की कीमत।
जब तक रहोगे
मान-मद में अपने
बड़े आदमी क्यों
कहलाओगे तुम।
नहीं धन किसी को
बनाता बड़ा है,
वरन साफ मन ही
बनाता बड़ा है।
धनवान होकर
मदद कर न पाए
गरीबों को इंसाँ
समझ तक पाए,
समझते हो खुद को
बड़ा आदमी हूँ,
गलतफहमियां क्यों
पाले हो तुम।

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