Site icon Saavan

“भाग्य और प्रीत”

भाग्य कहाँ ले जाता है
और कहाँ मैं जाती हूँ !

प्रीत के बदले प्रीत लुटाती
प्रीत नहीं मैं पाती हूँ..

जीत सके जो मेरा मन
किसी में ऐसी बात कहाँ !

तुझे छोंड़ मैं किसी और को
प्रेम कहाँ कर पाती हूँ..

राह चलूं तब मेरी पायल
छमछमछमछम बजती है,

तेरे मिलन को श्याम ! राधिका
देखो निस दिन सजती है..

हृदय कहाँ ले जाता है
और कहाँ मैं जाती हूँ !

प्रीत के बदले प्रीत लुटाती
प्रीत नहीं मैं पाती हूँ….

Exit mobile version