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भारत की व्यंजन गाथा।

खाना एक संगीत हैं, और भारत उसका स्वर,
उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक यहां प्यार फैला हर जगह।
यहां के रसोईघर में छुपा हैं भारत का अनोखा सौंदर्य,
ये भोजन बहुमुखी संस्कृति की गाथा, देखने वालो कि हटे ना निगाह।

उत्तर भारत के रसोईघर से खुल जाती हैं हम गर्म व्यंजन की कथा।
छोलेभटूरे ,सरसों का साग, मक्की की रोटी की मिठास महकती खुशबू और बेमिसाल स्वाद है हमारी प्रथा।
पंजाब के मक्के के रोटी और सारसों के साग की खुशबू में गाते हैं हिमाचल के चारों धाम।
कश्मीर की वादियों में छिपा हैं रोगन जोश की चटनी का राग।
ये उत्तर भारतीय व्यंजन की सुंदरता, मन को छू लेती है बिना किसी त्याग।

पश्चिमी भारत के व्यंजनों में बसती है भूगोल की महक,
गुजरात की ढोकली, दमन की खीर, ओर धनिया चटनी की मिठास अनूठी होती है।
राजस्थान की थाली में सजी है दाल बाटी चूरमा,
जो मीटाती है गर्मियों की भूख, देती है आनंद की गरिमा।

महाराष्ट्र की पाव भाजी ओर वड़ा पाव की मासूमियत,
गोवा की सोरपोतेल, कच्चे रसों का नाटक जिंदादिली से सुनाती है।

मध्य भारत के ब्रह्मपुत्र घाटी के स्वाद में छुपी है रिवायत,
मिठाई की डिबियां, जोलपान की मिठास, लिट्टी चोखा का स्वादिष्ट है रंग भरे व्यंजनों का प्रमाण।
मध्य प्रदेश की बावन बाफ़ला, मलयान के कबाब, छत्तीसगढ़ की मिथेला जलेबी,
उनकी मिठास और सरसता से मन में गुलाब जैसे महकते हैं ख़्वाब।

दक्षिण भारत के अंडमान टिकी, दोसा-इडली की सुंदरता
तमिलनाडु के संभार वदा, केरल के अप्पम वदम जैसी विशेषता है पचास रागों की ताल।
आंध्र प्रदेश की हैदराबादी बिरयानी, तेलंगाना का हलीम,
कर्नाटक का दोसा, उनकी सुंदरता के रंग सबको दिलाते हैं रंगों की उल्लास।

ये भारतीय व्यंजन की यात्रा, मन को छू जाती है , ओर है यह खुशीयों का प्रतीत।
हर व्यंजन में छिपी है देश की विविधता का प्राकृतिक संगीत।

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