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भारत के युवा जो एक दिन भगत,आजाद बनना चाहते थे ।

भारत के युवा जो एक दिन भगत,आजाद बनना चाहते थे ।
आज वो युवा कौन-से देश की शोभा बढ़ा रही है ।
वो वीरांगनी झाँसी जिस पे हमे गर्व होता था ।
आज वो वीरांगनी प्रदेशों से मेल खा रही है ।।1।।

शिक्षित होने का अर्थ आज के बुद्धजीवियों ने खूब लगाया है ।
निज राष्ट्र को धिक्कार कर प्रदेशों में अपना घर बनाया है ।
दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जी भी तो थे विद्वान ।
अरे! भाई जब वो लोग अपने देश को नहीं भूले आखिर दम तक ।
तो तुम क्यूँ भूले, बेशकिमती प्रतिभापलायन के हार पहनके ।।2।।

देश, देश होता है , माँ, माँ होती है ।
कोई पूर्ण नहीं होता जहां मे ।
हरेक में कोई न कोई खामियाँ होती है ।
मगर जिसने खामियाँ को ढूँढ़कर भारत को स्वर्णयुग बनाया है ।
वही नर जग में महान कहलाया है ।।3।।

तुम में कुछ करने की लालशा नहीं निज देश के वास्ते ।
आखिर तुमने दिखा ही दी तम, रज के गुण ।
सीख लेते जरा आजाद, बोस से कुछ स्वदेश के धर्म ।
तब मिला जाता भारत को अनेकों बोस, आजाद ।।4।।
कवि विकास कुमार

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