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भारत माता के सैनिक

आसमान के तारे भी
सूक्ष्म मलिन से लगते हैं
जब भारत के सैनिक
वर्दी पहन ओढ़ कर चलते हैं
जान ठोकर खाती है कदमों में
और होंठों पर मुस्कान लिए चलते
ऐसा जिगरा तो केवल
भारत मां के सपूत ही रखते हैं
होठों से जय हिंद का गान करें
और छाती पर गोली खाते हैं
ऐसे सपूत हैं भारत के
जो दुश्मन को धूल चटाते हैं
मिट्टी में मिलने से पहले
दहशतगर्दों को मार गिरा
अपनी जान निछावर कर
तिरंगे की आन बचाते हैं
हैं वंदनीय वह माताएं जो
अपने बेटों को
देशभक्ति का पाठ सिखलाती हैं
भारत माता के सैनिक को
अपनी छाती का दूध पिलाती हैं
धन्य वह सपूत
और पूजनीय है वह माता
अपनी ममता से बढ़कर
जिसने मातृभूमि को आंका
है शत-शत नमन
‘प्रज्ञा’ वंदन करती है वीर सपूतों को
आदरणीय है वह कोख जो जन्म देती है ऐसे पूतों को।

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