जिन्दगी में परेशानियां जब
हद से बढ़ने लगे
ये निगाहें निगाहों से लड़ने लगे
मुकद्दर भी जब मुह फेर ले
कोई तड़पता हुआ ही छोड़ दे
तब जीवन में आगे बढ़ो
अपने भावों को आवाज दो
सपनों को एक नया आयाम देकर
मंजिल पाने को अग्रसर हो।
जिन्दगी में परेशानियां जब
हद से बढ़ने लगे
ये निगाहें निगाहों से लड़ने लगे
मुकद्दर भी जब मुह फेर ले
कोई तड़पता हुआ ही छोड़ दे
तब जीवन में आगे बढ़ो
अपने भावों को आवाज दो
सपनों को एक नया आयाम देकर
मंजिल पाने को अग्रसर हो।