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भाषा

बिन निज भाषा के ज्ञान के बजे ना कोई बीन,
अंग्रेजी जो भी पढ़े होवे हिय से हीन,
संस्कारों की खेती अब न कर पाये कोई दीन,
हिन्दी को अपनी कोई ले न हमसे छीन।।
राही (अंजाना)

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