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भीड़

जमाने में लोगों की जब से भीड़ जमने लगी,

लोगों के बीच अपनेपन की कमी खलने लगी,

बन तो गए हर दो कदम पर मकाँ चार दीवारों के,

मगर जहाँ देखूं मुझे घरों की कमी खलने लगी।।
राही (अंजान)

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