भीड़ राही अंजाना 6 years ago जमाने में लोगों की जब से भीड़ जमने लगी, लोगों के बीच अपनेपन की कमी खलने लगी, बन तो गए हर दो कदम पर मकाँ चार दीवारों के, मगर जहाँ देखूं मुझे घरों की कमी खलने लगी।। राही (अंजान)