महंगाई का दास्तान
लिहली थैला पांच सौवा नोट
खरीदे निकली सब्जि और तेल
सब्जि में हि खत्म भईल
पांच सौवा बड़का नोट
कक्का के सुरती रही ग
बुढवा बाबू के तम्बाकू
टहल टहल बजारे हम
बेसवे लागे रहर के दाल
दाल के भाव सुनते
चढ़े लागल पारा हमार
रख्खा रख्खा भईया रख्खा
अबे हम आवत बानी
पांच सौवां के जरूरत पड़ ग
घर के चक्कर लगा के अईनी
सुनाई सुनाई खाली कइनी
झोला के हमनी सामान
पांच सौवां के दुगो नोट
टेट में लिहनी दबाय
खाली झोरा साईकल में
लिहली हम दबाय
घूम घूम समान खरिदनी
घर के कामे काज के
महंगाई क दस्तान देख
हो गईनी परेशान हम
बाजार से साईकिल लेई के
भईनी भईया हम फरहार
महेश गुप्ता जौनपुरी
गनापुर जौनपुर उत्तर प्रदेश
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