आँसू को पोंछ लेना
खुद को संभाल लेना,
मजबूत करना मन को
खुद को संभाल लेना।
कमजोर पड़ यूँ कैसे
जीवन चलेगा आगे,
आशा हो पूरे घर की
दायित्व भी हैं आगे।
ईश्वर की जो है मर्जी
वह ही हुआ है अब तक,
वश में नहीं है मन के
रोओगे ऐसे कब तक।
सब छिन गया लुटा है
लेकिन करें भी क्या अब
रख लो ख्याल खुद का
हृदय संभाल लो अब।
मजबूत कर लो हृदय
फिर से खड़े उठो अब
कुछ याद में जियो कुछ
आगे को देख लो अब।
वह रात थी दुखों की
उसको भुलाना होगा,
गर भूल भी न पाओ,
थोड़ा भुलाना होगा।
कवि और क्या कहे अब
कविता ही एक मरहम,
कोशिश करेगी कविता
दुःख थोड़ा कम हो मन का।