करो कुछ भी मगर मजबूर पर हँसना नहीं अच्छा,
किसी का दर्द बढ़ जाये ये सब करना नहीं अच्छा।
करो कुछ भी मगर मजबूर पर हँसना नहीं अच्छा,
किसी का दर्द बढ़ जाये ये सब करना नहीं अच्छा।
शरद के शशि रजत बिखरा रहे हों आसमां से जब,
नजारा देख कर नजरें चुराना लेना नहीं अच्छा।