जितना पास बुलाया वो उतना दूर होता गया,
रात का अन्धेरा रौशनी में चूर होता गया,
खुदा की बनाई इस मशहूर दुनियाँ में,
इंसा खुद इंसा के हाथों ही मजबूर होता गया।।
राही (अंजाना)
जितना पास बुलाया वो उतना दूर होता गया,
रात का अन्धेरा रौशनी में चूर होता गया,
खुदा की बनाई इस मशहूर दुनियाँ में,
इंसा खुद इंसा के हाथों ही मजबूर होता गया।।
राही (अंजाना)