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मतलबपरस्त

मतलबी ही रहे तुम
ज़िन्दगी के हर पड़ाव में
अब उम्र हो चली है
ज़रा पश्चाताप कर लो
माना तुम ज़िन्दगी भर
करते रहे छलावा!
पर याद रहे
मिलता हर कर्म का हिसाब,
वक़्त करता है ये दावा
खूब मौज उड़ाई तुमने
पहनकर अच्छाई का नकाब
रिश्ते निभाए फायदों तक
लेकिन जान गए हम कि,
मतलब निकालने में
नहीं तुम्हारा कोई जवाब
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से

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