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मत करो देर

**मत करो देर”**

मत करो देर , झटपट पाट दो , दिल की दरारों को ।
जमाना क्या कहेगा ,समझ़ो, जमाने के इशारों को ।

जिदों का यह अड़ियली रुख ,बहुत ज्यादा, नहीं अच्छा ,
छोड़कर जिद निभाओ , प्यार के अलिखित करारों क़ो ।

बात बचपन की जो होती , जो समझाते,समझ जाते ,
जवानी का है अब आलम , ना लौटाओ, बहारो को ।

अगर जो बात बन जाए ,हो जन्नत जैसी जिंदगानी ,
सजाने जिंदगी अब बुला ल़ो झट चाँद तारों को ।

जानकी प्रसाद विवश

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