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मधुमास

आया है मधुमास धरा पे
रंग -बिरंगी खुशियाँ लेकर।
वृक्षों ने परिधान बदलकर
नवल पत्र दल बगिया लेकर।।
पर्वत खेत बाग सब कुसुमित
धरा गगन अज रंगिया केसर।
“विनयचंद “इस रितुराज का
कर स्वागत दिल देकर।।

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