मधु छलके भीतर Satish Chandra Pandey 3 years ago कोई दिक्कत है अगर सीधे सीधे बोल, भीतर-भीतर विष जड़ी मत रखना तू घोल। मत रखना तू घोल जहर दूजे को देने, पड़ जायेंगे कभी तुझे लेने के देने। कहे लेखनी अमिय, बाँट ले बाहर भीतर, होंठों में हो हँसी और मधु छलके भीतर।