*मन थिरक उठो…”*
***********
कभी पुराने नहीं रहेंगे
ये रसभरे , सुरीले गीत ।
सदा नयापन। देंगे मन को ,
यह है इन गीतों की रीत।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
*मन थिरक उठो…”*
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कभी पुराने नहीं रहेंगे
ये रसभरे , सुरीले गीत ।
सदा नयापन। देंगे मन को ,
यह है इन गीतों की रीत।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश