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मन मेरा कह रहा यह बार-बार

मन मेरा कह रहा यह बार – बार
है हाथ तेरे समाज की पतवार
आबरू बहन – बेटियों की
हो रही है तार – तार
हो रहा है सीता हरण बार – बार
तू राम बन रावण से
हाथ कर दो – चार
देख फैल रह है समाज में दुराचार
भ्रष्टाचार आज बन गया है शिष्टाचार
सरेआम अब तो हुई मानवता शर्मसार
आ गया वक्त अब भरने का हुंकार
लगा निशाने पर अपना एक वार
निर्भीक हो दिखा लेखनी का चमत्कार

– रीता अरोरा

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