मय में भी नशा है….
लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं…
हूँ जब आज , मुस्कुराहट के आगोश में ….
तो दिल कहे ,
अब कोई गम नहीं …
जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ ….
तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..
मय में भी नशा है….
लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं…
हूँ जब आज , मुस्कुराहट के आगोश में ….
तो दिल कहे ,
अब कोई गम नहीं …
जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ ….
तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..