Site icon Saavan

मय में भी नशा हैं

मय में भी नशा है….

लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं…

 

हूँ जब  आज , मुस्कुराहट के आगोश में ….

तो दिल कहे ,

अब कोई गम नहीं …

 

जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ ….

तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..

Exit mobile version