मय में भी नशा हैं पंकजोम " प्रेम " 8 years ago मय में भी नशा है…. लेकिन उस रुख़ – ए – रोशन की ख़ूबसूरती से कम नहीं… हूँ जब आज , मुस्कुराहट के आगोश में …. तो दिल कहे , अब कोई गम नहीं … जिस दिन उंगलिया छोड़ दे , क़लम का साथ …. तो समझ लेना , इस दुनिया में हम नहीं…..