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मय ही मय

हमें तो पता ही न था, ये नशा क्या शय है।
हिज्र-ए-महबूब के बाद, बस मय ही मय है।
दुनिया हमारी शराफ़त की मिसाल देती थी,
शरीफ़ों मे ही नहीं, रिंदों के बीच भी गये हैं।

देवेश साखरे ‘देव’

रिंद- शराबी

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