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मस्ज़िद गए कभी कभी उस रब के घर गए

मस्ज़िद गए कभी कभी उस रब के घर गए
तब भी नही मिला कोई रस्ता तो मर गए
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1:-बदनाम तो बहुत हुए पर खुश भी हम रहे
हम वो फकीर है जो इबादत ही कर गए
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2:-हम तो कुछ इस तरह के इंसान बन गए
तुफान से लड़े तो प्यार में बिखर गए
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3:-नफरत हमें हर एक मुहब्बत से हो गई
मंजिल नही मिली तो सफर में ठहर गए
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4:-मै इस तरह मरा हूँ कि ड़ुबाने तक जिआ
पर जब मरा रकीब़ मुझे देखकर गए
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5:-जब माँगने गए दरो दहलीज़ पर गए
फिक्र ए मआश के लिए हम दर ब दर गए

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