घर से लेकर देश तक महाभारत के पात्र नजर आते हैं
बहुत कम है लोग जो कृष्ण और अर्जुन की भूमिका निभाते हैं
करवाते हैं लोग गीता रामायण के पाठ शुभारंभ में
बैठा है हृदय में रावण को छिपाते हैं
शोषण की कला सीख कर आते हैं संस्थानों से
गरीबों के पाँव धरती में धंसते जाते हैं
नौजवानों के हाथ बेकार है इंतजार में
परीक्षाये देते हैं हर रोज मगर परिणाम नहीं आते हैं
तन मन मस्तिष्क की भूख से अंधे हुए लोग
जीविकोपार्जन के नाजायज तरीके अपनाते हैं
अपराध बढ़ रहे हैं चहुँ ओर लगातार
अपराधी कानून को तमाचा मार जाते हैं
महाभारत से जैसे हुआ है सबका नाश
करना नहीं दुर्योधन श्री कृष्ण यह समझाते हैं