उदास रातों को जगा कर और
थोड़ा चांद निचोड़ कर
दिन में उजाला भर दिया
पंछियों की आवाज सुनाई दी है
किसी ने सुबह का
आगाज़ कर दिया,
यूंँ तो रोज सुनाई देती है शहनाई
उसने मोहब्बत का इजहार करके
मेरी माँग में सिंदूर भर दिया।
उदास रातों को जगा कर और
थोड़ा चांद निचोड़ कर
दिन में उजाला भर दिया
पंछियों की आवाज सुनाई दी है
किसी ने सुबह का
आगाज़ कर दिया,
यूंँ तो रोज सुनाई देती है शहनाई
उसने मोहब्बत का इजहार करके
मेरी माँग में सिंदूर भर दिया।