माँ भूख लगी है
घर में कोई खाना नहीं हैं तोह क्या
खाली बर्तनों को चूल्हे में जलाकर
ताकी खाने की आस में उसे नींद आ जाये
यह भी याद है
माँ भूख लगी है
हर एक झूठ बोल कर
कल मीठा बनाउंगी बोल तेरा दाल चावल खिलाना
याद हैं
माँ भूख लगी है
खुद एक रोटी खा कर
मुझे भूख नहीं है कह कर सो जाती तू
यह भी मुझे याद है