मातृ दिवस
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माँ जैसा …कोई ना जग में,
तोल तराजू ..रख सब इसमें।
तब भी पलड़ा …पार ना आये,
ममता की ..कीमत ना पाये।
ममता का हैं ..मोल निराला,
एक हँसी.. जग वारा सारा.
सुंदर रिश्ता.. माँ बच्चो का,
हँसी, रूलाई ,भोलेपन का।
मीठी झिड़की ..आँखे दिखाना,
बात -बात मे फिर धमकाना।
पीछे से धीरे मुस्काना,
पापा का फिर डर दिखाना ..
खनखनाती ..खुशियों भरा ये,
मधुर तरंगो से है सजा ये।
आओ फिर से प्यार जताये,
मातृदिवस हम फिर से मनाये।
प्यारी माँ का मान बढ़ाये,
ममता को फिर लाढ़ जताये,
मातृ दिवस हम फिर से मनाये।
निमिषा सिंघल
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