Site icon Saavan

मालिक

मालिक मेरे ततू मुझे शरण दे
बहुत थक चुका हू मै
अब ना ढोया जाए
ये बैरी दुनिया

लब पर आए ना कोई नाम
बस तू ही तू है हर शाम
लोग मीठे बस स्वार्थ से
हम जुड़े बस परमार्थ से

कौन अपने कौन पराए
समझ ना पाउँ
मन की यह पीरा कोई नहीं समझा
इस चमक धमक मे रोज़ नया चेहरा

स्वार्थ की दुनिया मे बस तू ही अपना
लड़ पछताऊ किस को बताऊ यह क्लेश
ए परम पिता त्वम् शरणनम
मुक्त कर इस माया से जन्म

Exit mobile version