आ चलें फ़लक तले आसमाँ पुकार रहा होगा,
नूरीं की खिदमत में आफ्ता़ब भी तो आ रहा होगा,
क्या पता हो जायें तुझे दीदार तिरी माहता़ब का,
देखा था मैंने भी डोली में कोई चला आ रहा था,
आ चलें फ़लक तले आसमाँ पुकार रहा होगा,
नूरीं की खिदमत में आफ्ता़ब भी तो आ रहा होगा,
क्या पता हो जायें तुझे दीदार तिरी माहता़ब का,
देखा था मैंने भी डोली में कोई चला आ रहा था,