‘माहताब मेरा’ Ushesh Tripathi 8 years ago आ चलें फ़लक तले आसमाँ पुकार रहा होगा, नूरीं की खिदमत में आफ्ता़ब भी तो आ रहा होगा, क्या पता हो जायें तुझे दीदार तिरी माहता़ब का, देखा था मैंने भी डोली में कोई चला आ रहा था,