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माहिर

जितना सुलझाती है उतना ही उलझाती है मुझको,
उधेड़कर पहले खुद सिलना सिखलाती है मुझको,

खोलकर दिल को जोड़ने में माहिर बताने वाली वो,
सच को रफू कर बस झूठ ही दिखलाती है मुझको।।

राही अंजाना

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