माहिर राही अंजाना 5 years ago जितना सुलझाती है उतना ही उलझाती है मुझको, उधेड़कर पहले खुद सिलना सिखलाती है मुझको, खोलकर दिल को जोड़ने में माहिर बताने वाली वो, सच को रफू कर बस झूठ ही दिखलाती है मुझको।। राही अंजाना