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मुक्तक

मेरी तन्हाई में दिल की बात होने दो!

मेरी जिन्द़गी की तन्हा रात होने दो!

सरहदें पिघल रहीं हैं तेरी यादों की,

हसरतों से मेरी मुलाकात होने दो!

 

Composed by #Mahadev

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