नजर के सामने कभी होते हैं मंजर जैसे!
जिगर में चुभता हुआ हो कोई खंजर जैसे!
पलक में होती है यादों की रफ्तार इसतरह,
लहर फैली हुयी हो रग रग में समन्द़र जैसे!
#महादेव की कविताऐं
नजर के सामने कभी होते हैं मंजर जैसे!
जिगर में चुभता हुआ हो कोई खंजर जैसे!
पलक में होती है यादों की रफ्तार इसतरह,
लहर फैली हुयी हो रग रग में समन्द़र जैसे!
#महादेव की कविताऐं