सामने है साकी मंजिल भी शराब है!
मेरी हसरतों में तेरा ही शबाब है!
तेरी प्यास जल रही है कब से जिगर में,
हुस्न का निगाहों में फैलता महताब है!
मुक्तककार- #महादेव’
सामने है साकी मंजिल भी शराब है!
मेरी हसरतों में तेरा ही शबाब है!
तेरी प्यास जल रही है कब से जिगर में,
हुस्न का निगाहों में फैलता महताब है!
मुक्तककार- #महादेव’