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मुक्तक

साथ नहीं हो लेकिन क्यों हमसे रूठ गये हो?
राह-ए-जिन्द़गी में तुम हमसे छूट गये हो!
बढ़ती ही जा रही हैं अपनी दूरियाँ दिल की,
हाथ की लकीरों में क्यों हमसे टूट गये हो?

#महादेव_की_कविताऐं'(26)

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