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मुक्तक

मेरे दर्द का आलम गुजर गया है!
तेरी बेरुखी का जख्म भर गया है!
कोई नहीं है मंजिल न राह कोई,
चाहतों का हर मंजर बिखर गया है!

#महादेव_की_कविताऐं'(21)

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