Site icon Saavan

मुक्तक

रात जाती है फिर से क्यों रात आ जाती है?
धीरे—धीरे दर्द की बारात आ जाती है!
भूला हुआ सा रहता हूँ चाहतों को लेकिन,
करवटों में यादों की हर बात आ जाती है!

#महादेव_की_कविताऐं'(26)

Exit mobile version