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मुक्तक

तेरे बगैर मुझको कबतक जीना होगा?
जामे-अश्क मुझको कबतक पीना होगा?
भटकी हुई है जिन्द़गी राहे-सफर में,
जख्मे-दिल को हरपल कबतक सीना होगा?

#महादेव_की_कविताऐं’

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