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मुक्तक 22

चुपके चुपके ही चाहा है, इज़हार किया न जीवन भर ,

एक डर में एक संशय में, मैं हाल ए दिल कैसे  कह पाऊँ.

जीवन के अंतिम क्षण में यदि बात जुबां तक आ जाये,

बस उसी काल मैं तृप्त हुआ ,दुनिया को छोड़ चला जाऊं..

…atr

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