Site icon Saavan

मुक्तक

सूरज को रोशनी का गुमान किसलिए है?
शाम तन्हाई की पहचान किसलिए है?
टूटते नजारे हैं फिजा में हरतरफ,
रात आहटों की मेहमान किसलिए है?

मुक्तककार- #महादेव’

Exit mobile version