ये पूनम की रात भी बड़ी अजीब होता है
पास इसके भी किस्से कई महफूज होता है
कुछ हसीं तो कुछ दर्द – ऐ – गम होता है
क्या करे रातो में ही दीदार-ऐ-चाँद होता है
“विपुल कुमार मिश्र”
ये पूनम की रात भी बड़ी अजीब होता है
पास इसके भी किस्से कई महफूज होता है
कुछ हसीं तो कुछ दर्द – ऐ – गम होता है
क्या करे रातो में ही दीदार-ऐ-चाँद होता है
“विपुल कुमार मिश्र”