मुक्तक Vipul 7 years ago ये पूनम की रात भी बड़ी अजीब होता है पास इसके भी किस्से कई महफूज होता है कुछ हसीं तो कुछ दर्द – ऐ – गम होता है क्या करे रातो में ही दीदार-ऐ-चाँद होता है “विपुल कुमार मिश्र”