कभी कभी मैं खुद से पराया हो जाता हूँ!
दर्द की दीवार का एक साया हो जाता हूँ!
जब बेखुदी के दौर से घिर जाता हूँ कभी,
नाकाम हसरतों का हमसाया हो जाता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’

कभी कभी मैं खुद से पराया हो जाता हूँ!
दर्द की दीवार का एक साया हो जाता हूँ!
जब बेखुदी के दौर से घिर जाता हूँ कभी,
नाकाम हसरतों का हमसाया हो जाता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’