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मुक्तक

हर शाम चाहतों की आहट सी होती है!
हर शाम जिगर में घबराहट सी होती है!
जब रंग तड़पाता है तेरी अदाओं का,
मेरी साँसों में गर्माहट सी होती है!

मुक्तककार- #महादेव’

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