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मुक्तक

मुझको याद है तेरा शर्माते हुए मिलना!
धीरे-धीरे जुल्फ को बिखराते हुए चलना!
चाँदनी सी रोशनी ले आती है आरजू,
जैसे हो तन्हाइयों में फूलों का खिलना!

मुक्तककार – #मिथिलेश_राय

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